Sunday, 29 December 2019

नरेंद्र मोदी

क्या मोदी जी सच में झूठे हैं?

हमारे यहाँ प्राचीन काल से ही यह एक समस्या रही है कि हम आदमी के जीवनकाल में तो उसे अच्छा कह ही नहीं सकते भले ही वे भगवान श्रीराम या योगेश्वर श्रीकृष्ण ही क्यों न हो। मरने के बाद सभी को अच्छा कहने लगते हैं चाहे वे इसके हकदार हो या न हो।

अरे भाई, नरेंद्र मोदी शास्त्रानुसार आचरण करने वाला व्यक्ति क्यों झूठ बोलेंगे, क्या लेना देना है उनको, क्या चाहिए उनको सिवाय देश के? 

आप सोचिए! 

हर राष्ट्रवादी इंसानों को, चाहे वो आप हो या मैं, समाज व राष्ट्र की चिंता होती है तथा होनी भी चाहिए लेकिन हम कारणवश उतनी मेहनत अगर नहीं कर पाते हैं जितनी कोई अन्य राष्ट्रवादी करता है तो उसका समर्थन तो करना ही चाहिए क्योंकि वह आपका ही तो काम कर रहा है ना।

अब मुझे प्रधानमंत्री बनने की फुरस्त नही है और देश का व समाज का भला भी करना चाहता हूँ तो खुशी होनी चाहिये कि चलो चिंता खत्म हुई नरेंद्र दामोदरदास मोदी हैं ना। 

राष्ट्रहित व समाज हित की तरफ ध्यान दिजिए, राष्ट्ररोधियों के चक्कर में न आएं।

नागार्जुन

नागार्जुन एक महान रसायनशास्त्री थे। अपनी पुस्तक 'रस रत्नाकर' में विभिन्न धातुओं को शुद्ध करने की विधियां बताई है। इसी पुस्तक में उन्होने अन्य धातुओं से सोना बनाने की विधियां बताई है ,और अगर सोना ना बने तो अन्य धातुओं के रसागम विशमन से किस प्रकार पीली धातु बनाई जा सकती है उसकी विधियां लिखी है।

इनका सम्राज्य सन् 1055 में सौराष्ट्र के अंतर्गत ढाक नामक जगह होता था। इनका मन कभी भी राज करने  में नहीं लगा। वे ज्यादातर आविष्कार करते रहते थे। विज्ञान मे इनका मन था ।उन्होंने अमृत और पारस की खोज करने का निर्णय भी किया ।उन्होंने एक बड़ी लैब भी बनवाई और उसमें अविष्कार करने लगे। बहुत प्रयत्नों के बाद उन्होंने वह विधि खोज ली जिसमें किसी भी धातु को सोने में बदला जा सकता था ।

उन्होंने अमर होने वाली चीजों की खोज करनी शुरू की। इसी प्रयास में दिन-रात लगे रहे और उनके राज्य में अव्यवस्था फैलने लगी।

इसी बात को लेकर उनके बेटे ने इन्हे राज्य पर ध्यान देने के लिए कहा, तो उन्होंने कहा कि वह अमर होने वाली दवा बना रहे हैं ।यही बात उनके बेटे ने अपने दोस्तों को बता दी और किसी ने कोई चाल चलकर इनकी हत्या करवा दी और लैब नष्ट करवा दी।

Perpetual motion machine

I can make a perpetual motion machine as much powerful as much you like. A lot of people have been working on it since time immemorial. Only ancient Indian scientist Bhaskracharya succeeded in making it but people couldn't regenerate it owing to the reason that complete literature about it is not available anywhere. I can do it easily.

Utilisation of animal resources in India

There are 640,867 villages and a lot of cities in India. We have a huge number of animal population, cows, buffaloes, camels and a lot of others but we don't utilise our animal resources properly. If we start using it properly India can be the most prosperous and developed country in the world. We can utilise these animals for producing electricity, we can make use of them in agriculture sector, we can produce a huge quantity of compost and can improve soil health and also can we save money we are wasting on chemical fertilizers. Start thinking.

अचानक अमीर बनने के नुकसान

मैं आपको एक सच्ची घटना के बारे में बताना चाहता हूँ आप स्वयं ही समझ जाऐंगे।
यह बात सन् 1998 की है। मैं अध्यापक ही था, छोटा भाई दूकान से सम्बंधित काम करता है, उस समय भी करता था। मैं कभी कभी उसके पास चला जाता था क्योंकि हम गाँव में उससे 20 किलोमीटर दूर रहते थे। एक दिन मैं उसकी दूकान पर गया तो मैंनै वहां बेठे एक आदमी को नमस्कार किया लेकिन उसने मेरी नमस्कार का कोई जबाव नहीं दिया। उसके जाने के बाद मैंने छोटे भाई से कहा कि उस आदमी ने मेरी नमस्कार का जबाव नहीं दिया। छोटे भाई ने बताया कि भईया वह विदेश से करोड़ों में रूपये कमाकर लाया है। भाई ने यह भी बताया कि वह वहाँ होटल में वेटर का काम करता था। निश्चित ही होटल का वेटर अच्छे होटल में बहुत पैसे कमा सकता है क्योंकि खर्च तो कुछ भी नहीं होना, सारी की सारी बचत ही होनी होती है। न मकान किराया, न खाने का खर्चा, न कपड़ोंं का खर्चा। उसने एक दो साल में ही काफी पैसे कमा लिए थे। एक या डेढ़ साल तक मुझे वह दुबारा नहीं मिला। इसके बाद एक दिन मेरा उससे सामना होगया, उसने मुझसे आगे बढकर नमस्कार किया मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ। मैंने छोटे भाई को बताया तो उसने कहा कि वह कंगाल होगया। उसके कंगाल होने की कहानी भी गजब है। उसनें एक साथी के साथ मिलकर 1100 ₹ क्विंटल की दर से बहुत सारा सरसों खरीदा और उस वर्ष 1500₹ क्विंटल से कम सरसों का भाव रहा ही नहीं फिर भी उसनें व उसके साथी ने उस धंधे में एक एक करोड़ रुपये बर्बाद कर दिऐ, उसके साथी ने बताया था। मतलब यह कि वो आखिर होटल में वेटर ही तो रहा था, सही मैनेजमेंट करना नहीं जानता था। ध्यान सरसों पर लगाया, वहाँ घाटा हुआ और कपड़े की दूकान भी बर्बाद हो गई। अचानक धनवान तो कोई भी बन सकता है लेकिन सही चीजें अचानक नहीं सीख सकता और इससे नुकसान हो जाता है।

नरेंद्र मोदी

हमारे यहाँ प्राचीन काल से ही यह एक समस्या रही है कि हम आदमी के जीवनकाल में तो उसे अच्छा कह ही नहीं सकते भले ही वे भगवान श्रीराम या योगेश्वर श्रीकृष्ण ही क्यों न हो। मरने के बाद सभी को अच्छा कहने लगते हैं चाहे वे इसके हकदार हो या न हो।
अरे भाई, नरेंद्र मोदी शास्त्रानुसार आचरण करने वाला व्यक्ति क्यों झूठ बोलेंगे, क्या लेना देना है उनको, क्या चाहिए उनको सिवाय देश के? आप सोचिए! हर राष्ट्रवादी इंसानों को, चाहे वो आप हो या मैं, समाज व राष्ट्र की चिंता होती है तथा होनी भी चाहिए लेकिन हम कारणवश उतनी मेहनत अगर नहीं कर पाते हैं जितनी कोई अन्य राष्ट्रवादी करता है तो उसका समर्थन तो करना ही चाहिए क्योंकि वह आपका ही तो काम कर रहा है ना। अब मुझे प्रधानमंत्री बनने की फुरस्त नही है और देश का व समाज का भला भी करना चाहता हूँ तो खुशी होनी चाहिये कि चलो चिंता खत्म हुई नरेंद्र दामोदरदास मोदी हैं ना। राष्ट्रहित व समाज हित की तरफ ध्यान दिजिए, राष्ट्ररोधियों के चक्कर में न आएं।